संघर्ष से आप क्या समझते हैं? संघर्ष के कारण, रूप तथा परिणाम
संघर्ष का अर्थ (Meaning of Conflict)
गिलिन और गिलिन (1950) के अनुसार, "संघर्ष सामाजिक प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति या समूह अपने विरोधी के प्रति प्रत्यक्ष हिंसात्मक तरीके अपनाकर या इस प्रकार की धमकी देकर अपने उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं।"
ग्रीन (1956) के अनुसार, "संघर्ष वह प्रयत्न है जो जान-बूझकर किया जाता है, इसमें व्यक्ति दूसरे या व्यक्तियों की इच्छाओं का विरोध या प्रतिकार करते हैं।"
मैकाइवर व पेज (1958) के अनुसार, "सामाजिक संघर्ष में वे सब क्रियाएँ सम्मिलित हैं, जिनके द्वारा व्यक्ति किसी भी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए एक दूसरे के विरुद्ध कार्य करते हैं।"
- उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर यह कह सकते हैं कि संघर्ष वह पारस्परिक प्रक्रिया है, जिसमें व्यक्ति दूसरे व्यक्ति या व्यक्तियों का किसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए विरोधी कार्य करते हैं और इस पारस्परिक प्रक्रिया में व्यक्ति कभी-कभी हिंसात्मक तरीके भी अपना लेते हैं। अतः संघर्ष सहयोग के विपरीत क्रिया है। इसमें लोग कभी-कभी गुत्थमगुत्या, मारपीट, गाली-गलौज और यहाँ तक कि हिंसात्मक उपायों से भी काम करते हैं। यह व्यवहार दो या अधिक व्यक्तियों या समूहों के बीच होता है। अक्सर चुनाव के समय दो राजनैतिक पार्टियों में इस प्रकार का व्यवहार देखने को मिलता है। पाकिस्तान की लड़ाई के समय मुसलमानों और हिन्दुओं में संघर्ष, बंगलादेश की आजादी के समय बंगलादेश वासियों और पाकिस्तान के लोगों के बीच संघर्ष। संघर्ष प्रतिस्पर्धा से भी सम्बन्धित हैं। जब प्रतिस्पर्धा अनियन्त्रित होती है तब प्रतिस्पर्धा संघर्ष का रूप धारण कर सकती है।
- उदाहरण के लिए, जब दो खिलाड़ी टीमों के बीच प्रतिस्पर्धा के कारण विरोध उत्पन्न हो जाता है तो दो टीमें अनुचित साधनों द्वारा एक-दूसरे पर विजय प्राप्त करना चाहती हैं, और यह भी हो सकता है कि नियंत्रण के अभाव में दोनों टीमों में गाली-गलौज और मारपीट हो जाए। संघर्ष एक प्रकार की चेतन प्रक्रिया है। इसमें विरोधियों को इस बात का पूरा ज्ञान रहता है कि अपने विरोधी को किस प्रकार हानि पहुँचा कर अपने उद्देश्य की प्राप्ति की जा सकती है।
- पार्क और बर्गेस के अनुसार, "संघर्ष तीव्र संवेगों तथा शक्तिशाली उत्तेजना को जाग्रत करता है तथा ध्यान और प्रयत्न को अत्यधिक एकाग्रचित्त करता है।"
- संघर्ष एक वैयक्तिक तथा अनिरन्तर प्रक्रिया है। संघर्ष सदैव नहीं चलता है और न एक गति से चलता है। कभी संघर्ष तीव्र गति से चलता है और कभी-कभी शिथिल हो जाता है। संघर्ष की पारस्परिक प्रक्रिया संसार के लगभग सभी समाजों में पाई जाती है।
संघर्ष के स्वरूप
1. वैयक्तिक संघर्ष
4. वर्ग संघर्ष
2. सामूहिक संघर्ष
5. अन्तर्राष्ट्रीय संघर्ष।
3. राजनैतिक संघर्ष
संघर्ष के कारण
1. व्यक्तिगत भिन्नता
2. सांस्कृतिक भिन्नताएँ
3. सामाजिक परिवर्तन
4. राजनैतिक कारण
5. सुविधाओं का अभाव।
संघर्ष के परिणाम-
संघर्ष के परिणाम अच्छे कम बुरे अधिक होते हैं। संघर्ष के मुख्य-मुख्य परिणाम निम्न प्रकार से हैं-
(1) जब दो समूहों में संघर्ष होता है तो संघर्ष के परिणाम स्वरूप एक समूह के सदस्य संगठित हो जाते हैं। उनमें एकता उत्पन्न हो जाती है और इस एकता संगठन के कारण दूसरे समूह को मुँहतोड़ सबक दिया जाता है। उदाहरण के लिए पाकिस्तान और भारत के संघर्ष के समय भारत का मुंहतोड़ सबक।
(2) जब संघर्ष एक समाज या समूह के सदस्यों के बीच होता है तो इसके परिणाम विघटनकारी होते हैं। पारिवारिक संघर्षों के कारण ही आज संयुक्त परिवारों का विघटन हुआ है।
(3) भयंकर संघर्ष से सम्पत्ति की बर्बादी ही नहीं होती है, बल्कि व्यक्ति के जीवन को भी खतरा उत्पन्न हो जाता है। उदाहरण के लिए, युद्ध के समय हजारों व्यक्तियों की मृत्यु हो जाती है, घायल हो जाते हैं और इस प्रक्रिया में अनेकों फलते-फूलते परिवार वीरान हो जाते हैं।
(4) अस्वस्थ संघर्ष में व्यक्तित्व का विकास भी सामान्य रूप से नहीं होता है।
संघर्ष के कारण (Causes of Conflict)
संघर्ष का सामान्यतया निम्न कारण हैं-
1. राजनैतिक कारण-
भारतीय समाज में संघर्ष का एक मुख्य कारण राजनैतिक भी है। एक राजनैतिक पाटों अपनी विरोधी राजनैतिक पार्टी को नीचा दिखाने के लिए किशोरों का दुरुपयोग करती है तथा अनुशासनहीनता फैलाती है, जिससे समाज में संघर्ष उत्पन्न होता है।
2. अहम् भाव-
सामाजिक परिवर्तनों के फलस्वरूप लोगों में 'हम' की भावना का लोप होता जा रहा है तथा 'मैं' की भावना विकसित होती जा रही है। स्वार्थ भाव दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। अहम् भाव के कारण व्यक्ति अहंकारी बन गया है और आपसी मित्रता, सहयोग जैसे एकीकृत करने वाले भावों का विकास कठिन हो गया है। इसी कारण तनाव तथा संघर्षों की उत्पत्ति हो रही है।
3. सामाजिक परिवर्तन-
संघर्ष का एक महत्वपूर्ण कारण सामाजिक परिवर्तन है। सामाजिक परिवर्तनों के साथ-साथ बालक एवं किशोर जब समायोजन करने में असमर्थ रहते हैं तब उनके पृथक् समूह बन जाते हैं। इन भिन्न-भिन्न समूहों के भिन्न-भिन्न मूल्यों में रहन-सहन के ढंग तथा खान-पान के अलग ढंग विकसित होते हैं। इस प्रकार की भिन्नता समाज को संगठित करने के स्थान पर विघटित करने का कार्य अधिक करती है।
4. सुविधाओं का अभाव-
आज सुविधाओं के अभाव के कारण भी लगातार संघर्ष की उत्पत्ति हो रही है। अपने देश की बढ़ती जनसंख्या के कारण भी सुविधाओं का अभाव दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इसे समाज में कानून तथा व्यवस्था का स्तर गिर रहा है। आधुनिक युग में पानी, बिजली तथा राशन जैसी बुनियादी चीजों के लिए भी संघर्ष दिखाई पड़ते हैं।
5. सांस्कृतिक भिन्नता-
दो या दो से अधिक संस्कृतियों की प्रथाओं, व्यवहार प्रतिमानों और मूल्यों में अन्तर पाया जाता है। उनके खान-पान के तरीके, रहन-सहन का ढंग तथा जीवन जीने का तरीका भी भिन्न होता है। यह सांस्कृतिक अन्तर लोगों में तनाव तथा संघर्ष को जन्म देता है।
6. व्यक्तिगत भिन्नताएँ-
एक समाज के विभिन्न व्यक्तियों में शारीरिक तथा मानसिक विशेषताओं में अनेक भिन्नताएँ पायी जाती हैं। एक समाज के लोग लम्बाई, चौड़ाई, रूप, रंग में दूसरे समाज के लोगों से भिन्नता लिए होते हैं। उसी प्रकार रुचि, तर्क, स्मृति, बुद्धि, मूल्यों और अभिवृत्तियों की दृष्टि से भी वे एक-दूसरे से भिन्न होते हैं। इस प्रकार की शारीरिक, मानसिक भिन्नताएँ एक समाज के लोगों के आपसी सम्बन्धों के स्थापित होने में बाधा डालते हैं। इस प्रकार की बाधा के कारण भी समाज में संघर्षों की उत्पत्ति होती है।
संघर्ष के रूप (प्रकार) (Forms of Conflict)
संघर्ष के प्रकार निम्नलिखित हैं-
1. वर्ग संघर्ष-
वर्ग संघर्ष वह संघर्ष है जो दो या दो से अधिक वर्गों के बीच पाया जाता है। समाज में वर्ग, धन, पद, व्यवसाय, शिक्षा आदि के आधार पर बने होते हैं। वर्तमान समय में अपने समाज में मिल-मालिकों तथा श्रमिकों के बीच अक्सर संघर्ष होते रहते हैं, जिसके कारण उद्योगों में तालाबन्दी और हड़तालें होती रहती हैं। इससे उत्पादन गिर जाता है तथा देश की प्रगति धीमी पड़ जाती है।
2. सामूहिक संघर्ष-
सामूहिक संघर्ष वह संघर्ष होता है, जो दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच पाया जाता है। यह समूह चाहे जाति के आधार पर बने हों या प्रजाति के आधार पर हों। अमेरिका में गोरी तथा काली प्रजाति के मध्य संघर्ष, दो खेल टीमों के बीच संघर्ष एक प्रकार का सामूहिक संघर्ष कहा जा सकता है।
3. अन्तर्राष्ट्रीय संघर्ष-
यह वह संघर्ष है जो दो या दो से अधिक राष्ट्रों के बीच होता है। इस प्रकार के संघर्ष का प्रमुख कारण राजनैतिक ही होता है। इस प्रकार के संघर्ष के परिणाम काफी घातक होते हैं। उदाहरण के लिए, भारत तथा चीन का युद्ध, भारत तथा पाकिस्तान का युद्ध आदि। इन संघर्षों से केवल जनजीवन को हानि ही नहीं पहुँचती, बल्कि सम्बन्धित देशों के आर्थिक विकास को भी धक्का लगता है।
4. वैयक्तिक संघर्ष-
वैयक्तिक संघर्ष उस संघर्ष को कहा जाता है, जो दो व्यक्तियों के मध्य पाया जाता है। वैयक्तिक संघर्ष में घृणा, द्वेष, क्रोध की भावनाएँ उत्पन्न होती हैं। इस प्रकार के संघर्ष में डराना, धमकाना, गाली-गलौज, मारपीट, हत्या आदि कार्य भी हो जाते हैं।
5. राजनैतिक संघर्ष-
यह वह संघर्ष है जो दो या दो से अधिक राजनैतिक पार्टियों के बीच पाया जाता है। जब शासन करने वाली राजनैतिक पार्टी एवं मुख्य विरोधी पार्टी की शक्ति लगभग समान होती है तब संघर्षों की मात्रा और तीव्रता बढ़ जाती है। इस प्रकार के संघर्षों से राजनीतिक पार्टियों का अहित तो होता ही है साथ ही राष्ट्र का भी अहित होता है। दो राजनैतिक पार्टियों के संघर्ष का प्रमुख कारण पार्टी के आदर्शों, उद्देश्यों तथा नियमों में भिन्नता होना है, पर आजकल राजनैतिक संघर्ष कुर्सी के कारण हो रहे हैं।
संघर्ष का परिणाम (Result of Conflict)
संघर्ष के परिणाम-संघर्ष के परिणाम अच्छे कम बुरे अधिक होते हैं। संघर्ष के मुख्य-मुख्य परिणाम निम्न प्रकार से हैं-
(1) जब दो समूहों में संघर्ष होता है तो संघर्ष के परिणाम स्वरूप एक समूह के सदस्य संगठित हो जाते हैं। उनमें एकता उत्पन्न हो जाती है और इस एकता संगठन के कारण दूसरे समूह को मुँहतोड़ सबक दिया जाता है। उदाहरण के लिए पाकिस्तान और भारत के संघर्ष के समय भारत का मुँहतोड़ सबक।
(2) जब संघर्ष एक समाज या समूह के सदस्यों के बीच होता है तो इसके परिणाम विघटनकारी होते हैं। पारिवारिक संघर्षों के कारण ही आज संयुक्त परिवारों का विघटन हुआ है।
(3) भयंकर संघर्ष से सम्पत्ति की बर्बादी ही नहीं होती है, बल्कि व्यक्ति के जीवन को भी खतरा उत्पन्न हो जाता है। उदाहरण के लिए, युद्ध के समय हजारों व्यक्तियों की मृत्यु हो जाती है, घायल हो जाते हैं और इस प्रक्रिया में अनेकों फलते-फूलते परिवार वीरान हो जाते हैं।
(4) अस्वस्थ संघर्ष में व्यक्तित्व का विकास भी सामान्य रूप से नहीं होता है।