शोध परिकल्पना का अर्थ परिभाषा प्रकृति स्रोत |Research hypothesis meaning definition nature source

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 शोध परिकल्पना का अर्थ परिभाषा प्रकृति स्रोत

शोध परिकल्पना का अर्थ परिभाषा प्रकृति स्रोत |Research hypothesis meaning definition nature source



शोध परिकल्पना प्रस्तावना : 

परिकल्पना अनुसन्धान का एक प्रमुख एवं लाभदायक एवं उपयोगी हिस्सा है एक परिकल्पना के पीछे एक अच्छा अनुसन्धान छिपा होता है। बिना परिकल्पना के अनुसन्धा उद्देश्यहीन तथा बिन्दुहीन होता जाता है। बिना किसी अच्छे अर्थ के परिणाम अच्छे नहीं मिलते हैं इसलिये परिकल्पना का आकार मिश्रित तथा कठिन तथा लाभ से परिपूर्ण होता है। परिकल्पना का स्वरूप बड़ा एवं करीब होने पर इसके आकार को रद्दोबदल कर अनुसन्धान के अनुसार घटाया बढ़ाया जाता है। ऐसा नहीं किया जायेगा तो अनुसन्धानकर्ता अनावश्यक एवं तथ्यहीन आंकड़ों का प्रयोग किया जाता है।


शोध परिकल्पना का अर्थ  :

 

परिकल्पना शब्द परि + कल्पना दो शब्दों से मिलकर बना है। परि का अर्थ चारो ओर तथा कल्पना का अर्थ चिन्तन है। इस प्रकार परिकल्पना से तात्पर्य किसी समस्या से सम्बन्धित समस्त सम्भावित समाधान पर विचार करना है।

 

परिकल्पना किसी भी अनुसन्धान प्रक्रिया का दूसरा महत्वपूर्ण स्तम्भ है। इसका तात्पर्य यह है कि किसी समस्या के विश्लेषण और परिभाषीकरण के पश्चात् उसमें कारणों तथा कार्य कारण सम्बन्ध में पूर्व चिन्तन कर लिया गया है, अर्थात् अमुक समस्या का यह कारण हो सकता है, यह निश्चित करने के पश्चात उसका परीक्षण प्रारम्भ हो जाता है। अनुसंधान कार्य परिकल्पना के निर्माण और उसके परीक्षण के बीच की प्रक्रिया है। परिकल्पना के निर्माण के बिना न तो कोई प्रयोग हो सकता है और न कोई वैज्ञानिक विधि के अनुसन्धान ही सम्भव है।

 

वास्तव में परिकल्पना के अभाव में अनुसंधान कार्य एक उद्देश्यहीन क्रिया है ।

 

परिकल्पना की परिभाषा : 

परिकल्पना की परिभाषा से समझने के लिए कुछ विद्वानों की परिभाषाओं को समझना आवश्यक है। जो निम्न है

 

"करलिंगर (Kerlinger) - 


"परिकल्पना को दो या दो से अधिक चरों के मध्य सम्बन्धों का कथन मानते हैं।

 

मोले (George G. Mouley) -

 

"परिकल्पना एक धारणा अथवा तर्कवाक्य है जिसकी स्थिरता की परीक्षा उसकी अनुरूपता, उपयोग, अनुभव-जन्य प्रमाण तथा पूर्व ज्ञान के आधार पर करना है ।"

 

गुड तथा हैट (Good & Hatt ) -

 

"परिकल्पना इस बात का वर्णन करती है कि हम क्या देखना चाहते है । परिकल्पना भविष्य की ओर देखती है। यह एक तर्कपूर्ण कथन है जिसकी वैद्यता की परीक्षा की जा सकती है। यह सही भी सिद्ध हो सकती है, और गलत भी।" 


लुण्डबर्ग (Lundberg ) - 

"परिकल्पना एक प्रयोग सम्बन्धी सामान्यीकरण है जिसकी वैधता की जाँच होती है। अपने मूलरूप में परिकल्पना एक अनुमान अथवा काल्पनिक विचार हो सकता है जो आगे के अनुसंधान के लिये आधार बनता है। " 


मैकगुइन (Mc Guigan ) -

 

" परिकल्पना दो या अधिक चरों के कार्यक्षम सम्बन्धों का परीक्षण योग्य कथन है। "

 

अतः उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि परिकल्पना किसी भी समस्या के लिये सुझाया गया वह उत्तर है जिसकी तर्कपूर्ण वैधता की जॉच की जा सकती है। यह दो या अधिक चरों के बीच किस प्रकार का सम्बन्ध है ये इंगित करता है तथा ये अनुसन्धान के विकास का उद्देश्यपूर्ण आधार भी है।

 

परिकल्पना की प्रकृति : 

किसी भी परिकल्पना की प्रकर्षत निम्न रूप में हो सकती है

 

1. यह परीक्षण के योग्य होनी चाहिये । 

2. इसह शोध को सामान्य से विशिष्ट एवं विस्तृत से सीमित की केन्द्रित करना चाहिए ।

3. इससे शोध प्रश्नों का स्पष्ट उत्तर मिलना चाहिए। 

4. यह सत्याभासी एवं तर्कयुक्त होनी चाहिए। 

5. यह प्रकर्षत के ज्ञात नियमों के प्रतिकूल नहीं होनी चाहिए ।

 

परिकल्पना के स्रोत : 

परिकल्पनाओ के मुख्य स्रोत निम्नवत है 

 

1 समस्या से सम्बन्धित साहित्य का अध्ययन - 

समस्या से सम्बन्धित साहित्य का अध्ययन करके उपयुक्त परिकल्पना का निर्माण किया जा सकता है।

 

2 विज्ञान 

विज्ञान से प्रतिपादित सिद्धान्त परिकल्पनाओं को जन्म देते हैं।

 

3 संस्कृति 

संस्कृति परिकल्पना की जननी हो सकती है। प्रत्येक समाज में विभिन्न प्रकार की संस्कृति होती है। प्रत्येक संस्कृति सामाजिक एवं सांस्कतिक मूल्यों में एक दूसरे से भिन्न होती है ये भिन्नता का आधार अनेक समस्याओं को जन्म देता है और जब इन समस्याओं से सम्बन्धित चिंतन किया जाता है तो परिकल्पनाओं का जन्म होता है।

 

व्यक्तिगत अनुभव 

व्यक्तिगत अनुभव भी परिकल्पना का आधार होता है, किन्तु नये अनुसंध कर्ता के लिये इसमें कठिनाई है। किसी भी क्षेत्र में जिनका अनुभव जितना ही सम्पन्न होता है, उन्हें समस्या के ढूँढ़ने तथा परिकल्पना बनाने में उतनी ही सरलता होती है।

 

रचनात्मक चिंतन 

यह परिकल्पना के निर्माण का बहुत बड़ा आधार है। मुनरो ने इस पर ने विशेष बल दिया है। उन्होने इसके चार पद बताये हैं. (i) तैयारी (ii) विकास - (iii) प्रेरणा और (iv) परीक्षण । अर्थात किसी विचार के आने पर उसका विकास किया, उस पर कार्य करने की प्रेरणा मिली, परिकल्पना निर्माण और परीक्षण किया ।

 

6 अनुभवी व्यक्तियों से परिचर्चा - 

अनुभवी एवं विषय विशेषज्ञों से परिचर्चा एवं मार्गदर्शन प्राप्त कर उपयुक्त परिकल्पना का निर्माण किया जा सकता है।

 

7 पूर्व में हुए अनुसंधान - 

सम्बन्धित क्षेत्र के पूर्व अनुसंधानों के अवलोकन से ज्ञात होता है कि किस प्रकार की परिकल्पना पर कार्य किया गया है। उसी आधार पर नयी परिकल्पना का सज्जन किया जा सकता है।

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