परिकल्पना की विशेषताएं |Characteristics of hypothesis in Hindi

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 परिकल्पना की विशेषताएं

परिकल्पना की विशेषताएं |Characteristics of hypothesis in Hindi



उत्तम परिकल्पना की विशेषताएं या कसौटी 

एक उत्तम परिकल्पना की निम्न विशेषतायें होती है। -

 

1 परिकल्पना जाँचनीय हो - 

एक अच्छी परिकल्पना की पहचान यह है कि उसका प्रतिपादन इस ढंग से -किया जाये कि उसकी जाँच करने के बाद यह निश्चित रूप से कहा जा सके कि परिकल्पना सही है या गलत। इसके लिये यह आवश्यक है कि परिकल्पना की अभिव्यक्ति विस्तप्त ढंग से न करके विशिष्ट ढंग से की जाये। अतः जाँचनीय परिकल्पना वह परिकल्पना है जिसे विश्वास के साथ कहा जाय कि वह सही है या गलत।

 

2 परिकल्पना मितव्ययी हो 

परिकल्पना की मितव्ययिता से तात्पर्य उसके ऐसे स्वरूप से है जिसकी जाँच करने में समयश्रम एवं धन कम से कम खर्च हो और सुविधा अधिक प्राप्त हो ।

 

3 परिकल्पना को क्षेत्र के मौजूदा सिद्धान्तों तथा तथ्यों से सम्बन्धित होना चाहिए-

 

कुछ परिकल्पना ऐसी होती है जिनमें शोध समस्या का उत्तर तभी मिल पाता है जब अन्य कई उप कल्पनायें (Sub-hypothesis) तैयार कर ली जाये । ऐसा इसलिये होता है क्योंकि उनमें तार्किक पूर्णता तथा व्यापकता के आधार के अभाव होते हैं जिसके कारण वे स्वयं कुछ नयी समस्याओं को जन्म दे देते हैं और उनके लिये उपकल्पनायें तथा तदर्थ पूर्वकल्पनायें (adhoc assumptions) तैयार कर लिया जाना आवश्यक हो जाता है। ऐसी स्थिति में हम ऐसी अपूर्ण परिकल्पना की जगह तार्किक रूप से पूर्ण एवं व्यापक परिकल्पना का चयन करते हैं।

 

4 परिकल्पना को किसी न किसी सिद्धान्त अथवा तथ्य अथवा-अनुभव पर आधारित होना चाहिये
 

परिकल्पना कपोल कल्पित अथवा केवल रोचक न हो । अर्थात् परिकल्पना ऐसी बातों पर आधारित न हो जिनका कोई सैद्धान्तिक आधार न हो। जैसे काले रंग के लोग गोरे रंग के लोगों की अपेक्षा अधिक विनम्र होते हैं। इस प्रकार की परिकल्पना आधारहीन परिकल्पना है क्योंकि यह किसी सिद्धान्त या मॉडल पर आधारित नहीं है।

 

5 परिकल्पना द्वारा अधिक से अधिक सामान्यीकरण किया जा सके 

परिकल्पना का अधिक से अधिक सामान्यीकरण तभी सम्भव है जब परिकल्पना न तो बहुत व्यापक हो और न ही बहुत विशिष्ट हो किसी भी अच्छी परिकल्पना को संकीर्ण (narrow) होना चाहिये ताकि उसके द्वारा किया गया सामान्यीकरण उचित एवं उपयोगी हो ।

 

6 परिकल्पना को संप्रत्यात्मक रूप से स्पष्ट होना चाहिए-

 

संप्रत्यात्मक रूप से स्पष्ट होने का अर्थ हैं परिकल्पना व्यवहारिक एवं वस्तुनिष्ठ ढंग से परिभाषित हो तथा उसके अर्थ से अधिकतर लोग सहमत हों । ऐसा न हो कि परिभाषा सिर्फ व्यक्ति की व्यक्गित सोच की उपज हो तथा जिसका अर्थ सिर्फ वही समझता हो । 

इस प्रकार हम पाते हैं कि शोध मनोवैज्ञानिक ने शोध परिकल्पना की कुछ ऐसी कसौटियों या विशेषताओं का वर्णन किया है जिसके आधार पर एक अच्छी शोध परिकल्पना की पहचान की जा सकती है।

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