हिंदी भाषा के रूप (प्रकार) | Types of Hindi Language

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हिंदी भाषा के रूप (प्रकार) , Types of Hindi Language 

हिंदी भाषा के रूप (प्रकार) | Types of Hindi Language

हिंदी भाषा के प्रकार (Types of Hindi Language ) 

ऊपर मूल भाषाव्यक्ति बोलीअपभाषाउपबोली बोलीभाषापरिनिष्ठित भाषाराष्ट्रभाषा विशिष्ट भाषा तथा कृत्रिम भाषा पर संक्षेप में प्रकाश डाला गया है। भाषा के कुछ अन्य (भाषा विज्ञान में अपेक्षाकृत कम प्रचलित) रूप इस प्रकार हैं।

 

हिंदी भाषा के प्रकार भाग 1 के लिए यहाँ क्लिक करें 

1. साहित्यिक भाषा- 

जिसका प्रयोग साहित्य में होता है। बोलचाल की भाषा की तुलना में प्रायः यह कुछ कम विकसितकुछ अलंकृतकुछ कठिन तथा कुछ परंपरानुगामिनी होती है। इसे काव्य भाषा भी कहते हैं। 

2. जीवित भाषा - 

जो आज भी प्रयोग में होजैसे 'हिंदी'

 

3. मृत भाषा

 जो आज प्रयोग में नहीं हैजैसे 'हिट्टाइट'

 

4. राजभाषा -

 जिसका प्रयोग राज्य के कामों में होता है। संविधान के अनुसार हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा न होकर राजभाषा (Official Language) हैंऔर वैधानिक दृष्टि से उसे राज्यभाषा ही कहना चाहिएन कि राष्ट्रभाषा ।

 

5. जातिभाषा - 

जिसका प्रयोग केवल जाति विशेष में होता है। पीछे विशिष्ट भाषा में कहारों की भाषा की ओर संकेत किया जा चुका है। भीलमुसहरबनियाकायस्थब्राह्मण आदि की बोलियाँ जातिभाषाएँ ही हैं। भाषा या बोली से इन जातीय रूपों में ध्वनिसुरशब्द समूह या मुहावरे संबंधी विशेषताएँ होती हैं। यह प्रायः देखा जाता है कि एक ही गाँव में ब्राह्मण की बोली कुछ और होती हैकायस्थ की कुछ और तथा मुसहर आदि तथाकथित छोटी जातियों की कुछ और।

 

6. स्त्री - भाषा - 

जिसका प्रयोग केवल स्त्रियाँ करें। उर्दू की 'रेख्तीइसी श्रेणी में आती है। 'करीबनाम की एक जंगली जाति में इस प्रकार का भेद और भी स्पष्ट है। वहाँ पुरुष 'करीबबोली का प्रयोग करते हैंकिंतु स्त्रियाँ 'अरोवकनाम की बोली का प्रयोग करती हैंजो उसी का उससे पर्याप्त भिन्न एक रूप है। कैलिफोर्निया के उत्तरी भाग में 'यननामक आदिवासियों में भी स्त्री और पुरुष की भाषा में पर्याप्त भेद है। वैसे सामान्यतः सभी बोलियों की दृष्टि से दोनों में अंतर होता है।

 

7. पुरुष भाषा- 

जिसका प्रयोग केवल पुरुष करें। ऊपर स्त्री भाषा में इसके उदाहरण दिये गये हैं।

 

8. बच्चों की भाषा - 

बच्चों की भाषा भी थोड़ी अलग होती है। हिंदी में बच्चों की भाषा में मम (पानी)सूसू (पिशाब)छीछी (पाखाना) पुच्ची (प्यार)मिट्ठी (चुंबन)छीपॉटी (टट्टीपाखाना)हप्पा, (खाना)निन्नी (नींद) आदि शब्द चलते हैं। अप्पा ग्राम्यशिष्टअशिष्टसाधुअसाधुविकृत आदि भी भाषा के और बहुत से रूप हो सकते हैं।


 9. मिश्रित भाषा - 

जिसमें एक से अधिक भाषाओं का मिश्रण हो । बन्दरगाहों आदि पर ऐसी भाषा प्रायः सुनाई पड़ती है। चीन के कुछ नगरों में प्रयुक्त 'पिजिन इंगलिशइसका अच्छा उदाहरण है। कलकतिया हिंदीबंबइया हिंदी भी एक सीमा तक वही है। लेबिदोफ ने अपने 'हिन्दुस्तानी व्याकरणमें ऐसी ही कलकतिया भाषा को लिया है। भूमध्य सागर के बन्दररगाहों में प्रयुक्त 'सबीरभाषा (ग्रीकअरबीफ्रेंचस्पैतिना तथा इतालवी आदि के मिश्रण से बनी) या 'मारिशसकी 'क्रियोलभी इसी श्रेणी की है।

 

10. सहायक भाषा - 

वह भाषा जो सामाजिक संप्रेषण के लिए प्रयुक्त न होकर ज्ञानवर्द्धन के लिए प्रयुक्त होती है। जैसे संस्कृतग्रीकलैटिनअवेस्ता आदि क्लासिकी भाषाएँ। इसे 'पुस्तकालीय भाषाभी कहते हैं।


11. समपूरक भाषा - 

पर्यटकों तथा राजनयिकों आदि के द्वारा सीमित प्रयोग के लिए सीखी जाने वाली भाषा ।

 

12. परिपूरक भाषा - 

मातृभाषा के साथ-साथ सामाजिक स्तर पर पूरक के रूप में प्रयुक्त होने वाली भाषा । जैसे भारत में अंग्रेजी ।


13. संपर्क भाषा - 

जो अन्य लोगों से संपर्क के काम आये। हिंदी धीरे-धीरे भारत की संपर्क भाषा बनती जा रही है। एक ही भाषा परिपूरक और संपर्क दोनों भी हो सकती है।

 

14. समतुल्य भाषा - 

जब कोई व्यक्ति धीरे-धीरे किसी भाषा का उन सभी सामाजिक संदर्भों में प्रयोग करने लगेजिसमें वह मातृभाषा का प्रयोग करता रहा है तो उसे समतुल्य भाषा कहते हैं। उदाहरण के लिएविभिन्न देशों से बहुत लोग अमेरिका में जाकर अपनी मातृभाषा को छोड़कर प्रायः मातृभाषा के रूप में अंग्रेजी ही बोलने लगे हैंअतः अंग्रेजी उनके लिए समतुल्य भाषा हो गई है।

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