प्रेमचन्द युग के कहानीकार । Premchand Yug Ke Kahani Kaar

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प्रेमचन्द युग के कहानीकार (Premchand Yug Ke Kahani Kaar)

प्रेमचन्द युग के कहानीकार । Premchand Yug Ke Kahani Kaar

प्रेमचन्द युग के कहानीकार (Premchand Yug Ke Kahani Kaar)


जयशंकर प्रसाद की कहानी एवं विशेषताएँ 

  • जयशंकर प्रसाद की प्रथम कहानी 'ग्रामसन् 1911 ई. में इंदुमें प्रकाशित हुई और जीवनपर्यंत उन्होंनके कुछ 69 कहानियां लिखीं। देवेश ठाकुर का कथन है, "प्रसाद जी पहले कहानीकार हैं जिन्होंने हिंदी को बंगलाअंग्रेजी तथा फ्रेंच अनुवादों से मुक्त कर उसके स्वरूप को मौलिकता और स्थिरता प्रदान की।
  • इसी आधार पर कुछ आलोचक प्रसाद को प्रथम कहानीकार तथा उनकी कहानी 'ग्रामको प्रथम कहानी मानते हैं। 
  • प्रसाद की कहानियों की विशिष्टता उनके पात्रों के अंतर्द्वन्द्व उद्घाटनकाव्यात्मक अभिव्यक्ति और कहानी के मार्मिक अंत में निहित हैयद्यपि कविता और नाटक का शिल्प कभी कहानी में प्रमुख हो उठता है और उसकी संरचना में गड़बड़ी पैदा करता है। 
  • प्रसाद की कहानियों में वस्तुगत वैविध्य बिलकुल न होऐसा नहीं है। पुरस्कार', 'दासी तथा गुंडाआदि में इतिहास का प्रयोग किया गया है जबकि मछुआ बड़ा और छोटा जादूगर में सामाजिक विषमता को उभारा गया है। 
  • अधिकतर कहानियों में कथा सूत्र की क्षीणता दष्टिगोचर होती है। लेकिन 'दासीएवं 'सालवतीआदि कहानियों में अनावश्यक अंश भी कम नहीं है। भावुकता की स्फीति कहानी को प्रतिघातित करती है। इन दोषों के होते हुए भी प्रसाद की कथन भंगिमा और चारित्रिक सष्टि कहानियों को अविस्मरणीय बना देती है। 
  • प्रसाद का शिल्प प्रायः ग्राम कहानी से लेकर सालवटीतक एक समान रहा है और इसका अनुकरण नहीं हो पाया है। प्रसाद की शैली में लिखी गई हृदयेश और विनोद शंकर व्यास की अनेक कहानियां असफल रही हैं। 
  • उनके शिल्प के संबंध में डॉ. लक्ष्मी नारायण लाल ने लिखा है, "हिन्दी कहानी साहित्य में प्रसाद जी एक ऐसे कहानीकार हैं जिनकी कहानी भावों की अनुवर्तिनी रही है। शिल्प की अनुवर्तिनी नहीं।"

 

विश्वंभर नाथ शर्मा 'कौशिक' की कहानी एवं विशेषताएँ  

  • विश्वंभर नाथ शर्मा 'कौशिक (सन् 1891 1946 ई.) उर्दू से हिंदी में आने वाले प्रेमचंद युगीन कहानीकार हैं। उनकी प्रथम कहानी 'रक्षाबंधनसन् 1913 ई. में प्रकाशित हुई थी। विचारधारा की दृष्टि से कौशिक प्रेमचन्द की परंपरा में आते हैं। 
  • उन्होंने समाज सुधार को कहानी का लक्ष्य बनाया। उनकी कहानियों की शैली अत्यंत सरससरल एवं रोचक है। उनकी हास्य एवं विनोद से भरी हुई कहानियां चांदमें दुबे जी की चिट्ठियां के रूप में प्रकाशित हुई थीं। उन्होंने लगभग 300 कहानियां लिखीं। जो 'कल्पमंदिर', चित्रशालाआदि में संग्रहीत हैं।

 

आचार्य चतुर सेन शास्त्री की कहानी एवं विशेषताएँ 

 

  • आचार्य चतुर सेन शास्त्री ने अपनी कहानियों में सामाजिक परिस्थितियों का चित्रण किया है। उनकी कहानियों के संग्रह 'रजकणऔर 'अक्षत आदि प्रकाशित हुए हैं। उनकी प्रमुख कहानियां में दुखवा मैं कासे कहूं मोरी सजनी 'दे खुदा की राह पर', 'भिक्षुराजतथा 'ककड़ी की कीमत विशेष उल्लेखनीय हैं।

 

चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी एवं विशेषताएँ 

 

  • प्रेमचन्द युगीन कहानीकारों में मात्र तीन कहानी लिखकर ख्याति प्राप्त करने वाले चंद्रधर शर्मा गुलेरी हैं। हिंदी कहानी साहित्य में इनका बहुत ऊँचा स्थान है। उनकी प्रथम कहानी 'उसने कहा थासन् 1915 में प्रकाशित हुई थी जो अपने ढंग की अनूठी रचना है। इसमें किशोरावस्था के प्रेमांकुर का विकासत्याग और बलिदान से ओत-प्रोत पवित्र भावना के रूप में किया गया है। 
  • कहानी का अंत गंभीर एवं शोकप्रद होते हुए भी इसमें हास्य एवं व्यंग्य का समन्वय इस ढंग से किया गया है कि उसमें मूल स्थायी भाव को कोई ठेस नहीं पहुंचती है। विभिन्न दश्यों के चित्रण में सजीवताघटनाओं के आयोजन में स्वाभाविकता एवं शैली की रोचकता सभी विशेषताएं एक से बढ़कर एक हैं। 
  • कहानी की प्रथम पंक्ति ही पाठक के हृदय को पकड़कर बैठ जाती है और जब तक वह पूरी कहानी को पढ़ नहीं लेता है उसे छोड़ती नहीं है तथा जिसने एक बार कहानी पढ़ लिया वह 'उसने कहा थावाक्य को आजीवन विस्मत नहीं कर पाता है।
  • भावविचारशिल्प तथा शैली आदि सभी दष्टियों से यह कहानी एक अमर कहानी है। गुलेरी की दूसरी कहानी सुखमय जीवन भी पर्याप्त रोचक एवं भावोत्तेजक है। इसमें एक अविवाहित युवक के द्वारा विवाहित जीवन पर लिखी गई पुस्तक को लेकर अच्छा विवाद खड़ा किया गया है। जिसकी परिणति एक अत्यंत रोचक प्रसंग में हो जाती है। 'बुद्धू का कांटाभी अच्छी कहानी है।

 

पं. बद्रीनाथ भट्ट 'सुदर्शन' की कहानी एवं विशेषताएँ  

  • सुदर्शन का जन्म सन् 1896 ई. में हुआ था। कहानी कला में इनका महत्व कौशिक के समान स्वीकारा गया है। 
  • इनकी प्रथम कहानी हार की जीत' 'सरस्वतीमें प्रकाशित हुई थी। तब से अनेक कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं जैसे 'सुदर्शन सुधा', 'सुदर्शन सुमन', 'तीर्थ यात्रा', पुष्प लता', 'गल्प मंजरी', 'सुप्रभात', नगीना', 'चार कहानियांतथा 'पनघटआदि। 
  • उन्होंने अपनी कहानियों में भावनाओं एवं मनोवत्तियों का चित्रण अत्यंत सरल एवं रोचक शैली में किया है।

 

पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र' की कहानी एवं विशेषताएँ 

 

  • उग्र का हिंदी कहानी जगत में प्रवेश सन् 1922 ई. में हुआ उग्र की उग्रता को परिलक्षित आलोचकों ने उन्हें 'उल्कापात', 'धूमकेतु', 'तूफानतथा 'बवंडरआदि नामों से विभूषित किया। इसी से आपकी विद्रोही प्रवत्ति का अनुमान लगाया जा सकता है जिसको ऐसी ऐसी उपमाएं या उपाधियां मिली हो उसकी कहानी कला कैसी होगीसहज अनुमान लगाया जा सकता है। 
  • उनकी कहानियों वीभत्स एवं कुरूपता को भी स्थान मिल गया है किन्तु उग्र का उद्देश्य जीवन की कुरूपता का प्रचार करना नहीं था अपितु कुरूपता का समूल अंत करना था। उनके कहानी संग्रह दोजख की आग 'चिंगारियां', 'बलात्कारतथा 'सनकी अमीर आदि प्रकाशित है।

 

ज्यालादत्त शर्मा की कहानी एवं विशेषताएँ  

  • ज्वालादत्त शर्मा ने बहुत कम कहानियां लिखी हैं किन्तु हिन्दी जगत ने उनका अच्छा स्वागत किया है। उनकी कहानियों में भाग्य चक्रतथा 'अनाथ बालिका आदि उल्लेखनीय हैं। इन कहानीकारों के अतिरिक्त द्वितीय चरण के अन्य कहानीकार रामकृष्ण दासविनोद शंकर व्यास के नाम भी उल्लेखनीय हैं।

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