जूझ : आनंद यादव लेखक परिचय
जूझ : आनंद यादव लेखक परिचय
- आनंद यादव का पूरा नाम, आनंद रतन यादव था। वे मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार थे। इनका जन्म 30 नवम्बर, सन् 1935 को कागल, कोल्हापुर महाराष्ट्र में हुआ था। इनकी प्रमुख कृतियाँ कादंबरी व झोंबी हैं। इन्होंने अपनी शिक्षा कोल्हापुर व पूणे में पूरी की। सन् 1990 में इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इनकी मृत्यु 27 नवम्बर 2016 को पुणे में हुई।
जूझ पाठ का परिचय-
- जूझ कहानी एक ग्रामीण किसान के शिक्षा प्राप्ति के लिए लालायित पुत्र के संघर्ष - को झाँकी है जिसमें गरीब किसानों की पीड़ा, कृषि कार्य में पूरे परिवार की कर्मठता का वर्णन है। कहानी का प्रमुख पात्र आनंदा की पाठशाला जाने की लगन ने उसे पढ़ाई के साथ-साथ कृषि के कार्य में सामंजस्य बिठाना सिखा दिया।
जूझ पाठ का सारांश
- 'जूझ' कहानी के लेखक आनंदा के पिता (दादा) उसे चौथी कक्षा के बाद पाठशाला भेजना बंद कर देते हैं। न जा पाना और शिक्षा अधूरी रह जाने का ख्याल बालक आनंदा को बहुत दुखी करता था। पिता स्वयं खेती के कामों से जी चुराता था। आनंदा को खेती के काम में लगा दिया। सुबह से शाम तक खेतों में पानी देना कोल्हू चलाना जैसे काम आनंदा करता था और पिता सारा दिन गाँव में घूमता फिरता और रखमा बाई के कोठे पर जाता। खेत का सारा काम आनंदा से कराते थे यही कारण है कि वे उसे पाठशाला भेजना नहीं थे।
- दीवाली के बाद ईख पेरने के लिए कोल्हू चलाया जाता था किन्तु इस वर्ष दादा को समझ में ईख की अच्छी खासी कीमत मिल जाती। देर तक खड़ी रहने वाली ईख के रस में पानी की मात्रा कम होती है और रस गाढ़ा हो जाता है जिसके कारण ज्यादा गुड़ निकलता है। लेकिन दादा को समझ में गुड़ ज्यादा निकलने की अपेक्षा भात ज्यादा मिलना चाहिए। इसलिए आनंदा के घर कोल्हू पहले शुरू होता था।