गुणात्मक अनुसन्धान- अर्थ एवं विशेषतायें | Objective and theme of Qualitative Research

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 गुणात्मक अनुसन्धान- अर्थ एवं विशेषतायें 

गुणात्मक अनुसन्धान- अर्थ एवं विशेषतायें  | Objective and theme of Qualitative Research



गुणात्मक अनुसन्धान- अर्थ एवं विशेषतायें : 

अनुसन्धान विधियों को मुख्यतः दो रूपों में बाँटा जा सकता है- तार्किक प्रत्यक्षवाद (Logical Positivism) तथा गोचर खोज (Phenomenological Inquiry) । शैक्षिक शोधों में पहला रूप ज्यादा प्रयुक्त हुआ है । परन्तु विगत एक दशक से शैक्षिक परिस्थितियों से सम्बन्धित समस्याओं, समाधान प्रक्रियाओं एवं व्यवस्थाओं से मुद्दों को स्पष्ट एवं उजागर करने के लिये गोचर खोज उपागम पर ज्यादा बल दिया जा रहा है। शोध के इन्हीं उपागमों के आधार पर शोध को तीन भागों में बाँटा जा सकता है- मात्रात्मक शोध, गुणात्मक शोध एवं क्रियात्मक शोध । वास्तव में शोध के मात्रात्मक तथा गुणात्मक शोधों में न तो कोई स्पष्ट अन्तर है और न ही दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। दोनों शोधों में मात्रात्मक एवं गुणात्मक प्रदत्तों का प्रयोग हो सकता है। इसीलिये अब तक गुणात्मक शोध की कोई सर्वमान्य परिभाषा नहीं बन सकी है। गुणात्मक अनुसन्धान के विषय में जॉन डब्ल्यू बेस्ट तथा जेम्स वी कान ने कहा है-

 

" क्या है ? का वर्णन करने के लिए गुणात्मक विवरणात्मक अनुसन्धान अमात्रात्मक विधियों का प्रयोग करता है। गुणात्मक विवरणात्मक शोध प्रत्यक्ष चरों के मध्य के अमात्रात्मक सम्बन्धों को जानने के लिये व्यवस्थित प्रक्रियाओं का प्रयोग करता है।"

 

गुणात्मक अनुसन्धान के लिये व्यवहार में कई पद प्रयुक्त किये जाते हैं, जैसे - नृ-शास्त्र शोध (Enthnographic Research) व्यष्टि अध्ययन शोध (Case Study Research), घटना- क्रिया विज्ञानपरक शोध (Phenomenological Research) तथा संरचनावाद (Constructivism), सहभागी प्रेक्षण (Participant Observation) आदि ।

 

गुणात्मक अनुसन्धान में जब नृः शास्त्रीय शोध शब्द का प्रयोग होता है, तब घटित घटनाओं के स्थान पर वर्तमान की घटनाओं का अध्ययन किया जाता है। इसमें शोधकर्ता या शोधकर्ती का दृष्टिकोण खोज के गोचर ( Phenomena) के प्रति अधिक व्यैक्तिक तथा मृदु होता है। वह व्यक्तियों की अभिवृत्तियों, पसन्दों या व्यवहारों के कारणों तथा अभिप्रेरणाओं के प्रति समझ पैदा करने के लिये व्यक्तिक लेखों, असंरचित साक्षात्कारों, तथा सहभागी प्रेक्षण विधियों का प्रयोग करता है। इस प्रकार के अनुसन्धान में संकलित प्रदत्तों का उपयोग परिकल्पनाओं की जाँच के स्थान पर परिकल्पनाओं के निर्माण में किया जाता है।

 

इस प्रकार से कहा जा सकता है कि गुणात्मक अनुसन्धान गहनतापूर्वक किया जाने वाला एक ऐसा व्यस्थित प्रक्रियाओं वाला अनुसन्धान है जिसमें गुणात्मक प्रदत्त संकलन की विधियों का प्रयोग कर परिकल्पनात्मक निष्कर्षों को मात्रात्मक या गुणात्मक रूप में प्राप्त किया जाता है तथा जिसका सम्बन्ध वर्तमान गोचर से होता है

 

गुणात्मक अनुसन्धान की विशेषतायें :-

 

गुणात्मक अनुसन्धान के सम्बन्ध में उपरोक्त बातों से उसकी विशेषताओं को सरलता से जाना जा सकता है। प्रमुख विशेषतायें निम्न हैं-

 

1. गुणात्मक अनुसन्धान में आगमनात्मक ( Inductive ) उपागम का प्रयोग होता है। 

2. इसमें शोधकर्ता या शोधकर्ती की अहं भूमिका होती है। 

3. गुणात्मक अनुसन्धान का केन्द्र बिन्दु विशिष्ट परिस्थिति, संस्थायें, समुदाय या मानव समूह होता है।  

4. यह मात्रात्मक प्राप्तांको, मापन तथा सांख्यिकीय विश्लेषण के स्थान पर निहित कारणों, व्याख्याओं और निहित अर्थों पर बल देता है। 

5. यह संरचित उपकरणों के स्थान पर व्यक्तिक अनुभवों को ज्यादा बल देता है। 

6. यह कम घटनाओं या कम समूह या कम सदस्य संख्या पर आधारित होता है । 

7. इसकी आधार सामाग्रियाँ साक्षात्कार, प्रत्यक्ष प्रेक्षण तथा लिखित अभिलेख  होते हैं।

8. इसमें संगठनात्मक प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है।  

9. मात्रात्मक अनुसन्धान में जहाँ सार्वभौमिक सामान्यीकरण किया जाता है वहीं गुणात्मक अनुसन्धान विशिष्ट सन्दर्भ के साथ केन्द्रित रहता है । 

10. गुणात्मक अनुसन्धान ज्ञान के विशिष्ट, सही या सत्य के मार्ग पर विश्वास नहीं करता बल्कि परिस्थितिजन्य ज्ञान पर बल देता है।

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