भौतिक तथा अभौतिक संस्कृति | भौतिक एवं अभौतिक संस्कृति में अन्तर| Material and non-material culture in Hindi

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भौतिक तथा अभौतिक संस्कृति
Material and non-material culture in Hindi

भौतिक तथा अभौतिक संस्कृति | भौतिक एवं अभौतिक संस्कृति में अन्तर| Material and non-material culture in Hindi


भौतिक तथा अभौतिक संस्कृति


अमेरिकन समाजशास्त्री ऑगबर्न ने संस्कृति के दो भाग किये हैं- (1) भौतिक संस्कृति, (2) अभौतिक संस्कृति । 

भौतिक संस्कृति क्या होती है - 


भौतिक संस्कृति के अन्तर्गत मनुष्य के द्वारा निर्मित वस्तुओं को लिया जाता हैं जिनका निश्चित आकार होता है तथा इनसे मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति होती है भवनअस्त्रशस्त्रआभूषणमशीनेआवागमन के साधनसन्देशवाहन के साधनकृषि आदि के साधन-सभी संस्कृति का भौतिक पक्ष हैं- अर्थात् वे सभी साधन जो मानव द्वारा निर्मित हैं तथा मूर्तरूप में हैभौतिक संस्कृति के अंग हैं। 

भौतिक संस्कृति के निम्नलिखित विशेषताएं हो सकती हैं- 

(1) भौतिक संस्कृति मूर्त होती है। 
(2) इसे मापा जा सकता हैं अथवा भौतिक संस्कृति मापनीय हैं। 
(3) भौतिक संस्कृति संचयी होती हैं। 
(4) इसकी उपयोगिता का मूल्यांकन किया जा सकता हैं। 
(5) भौतिक संस्कृति शीघ्रता से परिवर्तनशील है। 
(6) एक स्थान से दूसरे स्थान पर इसका प्रसार आसानी से होता हैं अतः इसका ग्रहण भी आसानी से किया जा सकता हैं।

अभौतिक संस्कृति क्या होती है - 

  • अभौतिक संस्कृति में वे सभी बातें समाहित हैं जो अमूर्त हैं। मैकाइवर कुछ समाजशास्त्री तो संस्कृति के अमूर्त रूप को ही संस्कृति मानते हैं- इसके अन्तर्गत उन आदि सभी सामाजिक तथ्यों को लिया जाता हैं जिनका तोल-माप नहीं हो सकताजो अमूर्त होते हैंजिन्हें हम केवल अनुभव कर सकते हैं। सोरोकिन तो इसी गुण के आधार पर भावात्मक संस्कृति कहते हैं। अभौतिक संस्कृति हमें विरासत में प्राप्त होती हैं- विचारविश्वासमानदण्डव्यवहारमूल्यप्रथारीति-रिवाजकानून साहित्यज्ञानभाषा आदि इसी के अंग हैं- अभौतिक संस्कृति सामाजीकरण की प्रक्रिया द्वारा एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हस्तान्तरित होती हैं । 

अभौतिक संस्कृति की निम्नलिखित विशेषताएं हो सकती है -


(1) यह अमूर्त होती हैं। 
(2) इसे मापा नहीं जा सकता हैं। 
(3) इसकी उपयोगिता का मूल्यांकन प्रकट रूप में नहीं किया जा सकता। 
(4) अभौतिक संस्कृति जटिल होती हैं। 
(5) इसमें परिवर्तन बड़ी धीमी गति से होते हैं। 
(6) सांस्कृतिक प्रसार से इसे उसी रूप में ग्रहरण नहीं किया जा सकता। 
(7) अभौतिक संस्कृति का सम्बन्ध मानव के नैतिक एवं आध्यात्मिक जीवन से हैं।


भौतिक एवं अभौतिक संस्कृति में अन्तर


भौतिक संस्कृति


1. भौतिक संस्कृति मूर्त होती हैं।

2. भौतिक संस्कृति व्यक्ति के बाह्य जीवन सम्बन्धित हैं।

3. परिवर्तन बड़ी तीव्र गति से होते हैं।

4. भौतिक संस्कृति शीघ्र ग्राह्म हैं । अर्थात् सांस्कृतिक सम्पर्क से ये शीघ्र ग्रहण की जा सकती

5. यह मापनीय हैं।

6. इसकी प्रकृति सरल हैं।

7. भौतिक संस्कृति संचयी होती हैं आविष्कारों से इसमें वृद्धि होती हैं।

8. इसका मूल्यांकन लाभ अथवा उपयोगिता के आधार पर किया जाता है।


अभौतिक संस्कृति


1. अभौतिक संस्कृति अमूर्त होती हैं।

2. अभौतिक संस्कृति व्यक्ति के आन्तरिक जीवन से सम्बन्धित है।

3. परिवर्तन की गति अति मन्द होती हैं।


4. अभौतिक संस्कृति को शीघ्रता से ग्रहण नहीं किया जा सकता हैं।

5. यह मापी नहीं जा सकती। 

6. यह जटिल प्रकृति की हैं ।

7. अभौतिक संस्कृति में न तो वृद्धि होती है न ही इसका संचय किया जाता हैं।

8. अभौतिक संस्कृति का मूल्यांकन उपयोगिता के आधार पर नहीं किया जा सकता हैं । अन्त में यह कहा जा सकता हैं कि भौतिक एवं अभौतिक संस्कृति दोनों का साथ-साथ प्रयोग किया जाता हैं। यदि भौतिक संस्कृति विकसित होती हैं तो अभौतिक संस्कृति का विकास भी स्वतः ही हो जाता हैं। इस प्रकार दोनों एक-दूसरे का प्रभावित करती है।

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