सरोजिनी नायडू का जीवन परिचय : जानिए सरोजिनी नायडू के बारे में | Sarojani Naidu GK in Hindi

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 सरोजिनी नायडू का जीवन परिचय : जानिए सरोजिनी नायडू के बारे में  Sarojani Naidu GK in Hindi


सरोजिनी नायडू का जीवन परिचय : जानिए सरोजिनी नायडू के बारे में | Sarojani Naidu GK in Hindi


सरोजिनी नायडू का जीवन परिचय   Sarojani Naidu GK in Hindi


सरोजिनी नायडू का जन्म  भारत के हैदराबाद नगर में 13 फरवरी 1879 को  हुआ था इनके पिता अघोरनाथ चटोपाध्याय एक वैज्ञानिक और शिक्षाशास्त्री थेए उन्होंने हैदराबाद में निजाम कॉलेज की स्थापना की थीए उनकी  माता वरदा सुन्दरी कवयित्री थीं और बांग्ला में लिखती थीं।

 

सरोजिनी आठ भाई.बहनों में सबसे बड़ी थीं बचपन से ही कुशाग्र.बुद्धि होने  के कारण सरोजिनी को अपने माता.पिता से कविता.सृजन की प्रतिभा  प्राप्त हुई थी उन्होंने 12 वर्ष की अल्पायु में ही 12वीं की परीक्षा अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण की ।

 


मात्र तेरह साल की आयु में उन्होंने लेडी ऑफ दी लेम्प नाम से अपनी पहली कविता लिखी जो प्रकाशित भी हुई और चर्चित भी उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंगलैंड गई और पढ़ाई के साथ.साथ कविताएँ भी लिखती रहीं  गोल्डन थ्रेश्होल्ड  उनकी कविताओं का पहला संग्रह था बाद के दो और कविता संकलनों. बर्ड ऑफ  टाइम तथा  ब्रोकन विंग्स ने उन्हें एक चर्चित कवयित्री बना दिया

 

उनकी कविताओं के फ्रेंच और जर्मन सहित कई भाषाओं में अनुवाद हुए उनके मित्र और प्रशंसकों में एडमंड गॉस और आथर सिमन्स भी थे उन्होंने किशोर सरोजिनी को अपनी कविताओं में गम्भीरता लाने की राय दी वह लगभग बीस वर्ष तक कविताएँ और लेखन करती रहीं और  इस समय में उनके तीन कविता.संग्रह प्रकाशित हुए कई भाषाओं का ज्ञान होने के कारण वह बहुभाषाविद् थीं और क्षेत्रानुसार अपना भाषण अंग्रेजी हिन्दी बांग्ला या गुजराती में बोल लेती थीं लंदन की सभा में इन्होंने अंग्रेजी में भाषण देकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

 


सरोजिनी नायडू का विवाह डॉण् गोविदराजुलू नायडू के साथ हुआ गाधीजी  से पहली बार उनकी मुलाकाल 1918 इंगलैंड में हुई और वे उनके विचारों से प्रभावित होकर देश के लिए समर्पित हो गयीं स्वतन्त्रता सेनानी और कवयित्री सरोजिनी नायडू को महात्मा गांधी ने भारत कोकिला नाम दिया था और उन्होंने कविताएँ लिखने के साथ ही आजादी की जंग में भी अहम् भूमिका निभाई थी उन्होंने अपनी प्रतिभा का  परिचय हर क्षेत्र में दिया उन्होंने अनेक राष्ट्रीय आंदोलनों का नेतृत्व किया और जेल भी गयीं।

 


सन् 1925 में वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कानपुर अधिवेशन की अध्यक्ष चुनी गई 1932 में दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया गांधीजी कि प्रिय शिष्या के रूप इन्होंने अपना सारा जीवन देश के लिए अर्पण कर दिया गोलमेज कांफ्रेंस में महात्मा गांधी के प्रतिनिधि मण्डल में सरोजिनी नायडू भी सम्मिलित थीं रॉलेट एक्ट का विरोध करने के लिए सरोजिनी नायडू ने महिलाओं को संगठित किया जब 1932 में महात्मा गांधी जेल गये थेए उस समय आंदोलन को रफ्तार देने और बढ़ाने का दायित्व सरोजिनी नायडू को सौंप कर गये थे।

 

सरोजिनी नायडू ने 1947 से 1949 तक आगरा और अवध के संयुक्त प्रांत के पहले राज्यपाल के रूप में सेवा की सरोजिनी नायडू भारतीय राज्य की राज्यपाल बनने वाली पहली महिला थीं 2 मार्च 1949 को उनका देहांत हुआ.

 

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