हड़प्पा कालीन सभ्यता संस्कृति एवं कला |Harappan Civilization Culture and Art

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हड़प्पा सभ्यता संस्कृति एवं कला |Harappan Civilization Culture and Art


हड़प्पा सभ्यता संस्कृति / कला

 

हड़प्पाकालीन लोगों ने मूर्तिकलास्थापत्य कलामृद्भाण्ड कला तथा चित्रकला के क्षेत्र में समुचित विकास कर लिया था। खुदाई में प्राप्त विभिन्न मानव एवं पशु चित्रों की मुहरें अपने में अनूठी हैं। 


हड़प्पा सभ्यता की स्थापत्य कला- 

  • हड़प्पामोहनजोदड़ो एवं अन्य नगरों की खुदाई से प्राप्त सुनियोजित भवन एवं नगर निर्माण उनकी उन्नत स्थापत्य कला का प्रमाण है। ये लोग पक्की ईंटोंप्लस्टरचूना आदि का प्रयोग करना जानते थे। निजी महत्त्व के भवनों के अतिरिक्त उनके सार्वजनिक महत्व भवन जैसे वृहत्स्नानागारअन्नागार आदि भी प्राप्त हुए हैं। नगरों में गढ़ी के अवशेष भी मिलते हैं। मकानों में पानी आदि के निकास हेतु नालियों की व्यवस्था उनके वैज्ञानिक दृष्टिकोण को दर्शाती है। 


हड़प्पा सभ्यता की मूर्तिकला 

  • खुदाई के दौरान मिट्टीपत्थर एवं धातु की अनेक मूर्तियां मिली हैजो न केवल अपने कलात्मक सौन्दर्य के लिए प्रसिद्ध हैंबल्कि हड़प्पा सभ्यता का इतिहास जानने का भी महत्वपूर्ण स्रोत है।
  • हड़प्पा से प्राप्त शॉल ओढ़े हुए एक पुरोहित की प्रस्तर मूर्ति में ललाट छोटा और पीछे की ओर ढलवा है। आंखें लम्बी कम चौड़ी और अधखुली हैं। सम्भवतः यह किसी योगी की मूर्ति हैजिसकी दृष्टि नासाग्र पर टिकी हैअर्थात् हड़प्पा लोगों में योग विद्या का प्रसार था। उसी प्रकार मोहनजोदड़ो से प्राप्त कांसे की नर्तकी की मूर्ति धातुकला का अनुपम उदाहरण है। यह अर्द्धनग्न मूर्ति हैजिसके गले में हार तथा बाएं हाथ में चूड़ियां हैं। मूर्ति का दायां हाथ कूल्हे पर रखा है तथा दूसरा पैर नाचने की मुद्रा में दिखाया गया है।

 

  • इनके अतिरिक्त लाल रंग की पकाई हुई मिट्टी की असंख्य मूर्तियां मिली हैं। ये मूर्तियां स्त्रीपुरूषों के अतिरिक्त पशु-पक्षियों की हैं। इनमें मातृदेवी के बाद कूबड़ वाला बैल विशेष उल्लेखनीय है।

 

हड़प्पा सभ्यता की मुहरें

  • हड़प्पा सभ्यता की कला में मुहरों का विशिष्ट स्थान है। यहां से 2000 से अधिक मुहरें मिली हैंजिनमें अधिकांश सेलखड़ी की बनी हैंकुछ मुहरें कांचलीमिट्टीचर्ट आदि की भी बनी हैं। इन मुहरों पर मनुष्यपशु-पक्षियों व वृक्षों की आकृति उत्कीर्ण हैं। इनमें एक सींग वाला पशुवृषभगैंडाबाघभैंसाहिरणहाथीबकराखरगोन आदि पशु हैं। 
  • पशुपति शिव की मुहर मोहनजोदड़ो से मिली है तथा लोथल से नाव का चित्र वाली मुहर मिली है। कुछ मुहरों पर स्वास्तिक व पीपल के वृक्ष के चित्र खुदे हुए हैं। यहां से प्राप्त कुछ तांबे की पट्टिकाओं पर भी मुहरों जैसी आकृतियां उत्कीर्ण हैं।

 

हड़प्पा सभ्यता के  मृद्भाण्ड

  • हड़प्पा काल में बर्तन हाथ व चाक दोनों से बनाए जाते थे। खुदाई में कुम्हारों का भी अवशेष मिला है। कुछ बर्तनों को लाल रंग से पोतकर उन पर काली रेखाओं से चित्र बनाए गए हैं। बर्तन आवे (भट्ठा) में पकाए जाते थे। इन बर्तनों विविध पशु-पक्षियों व वृक्षों का सुन्दरता से अंकन किया है। लोथल से प्राप्त मृदभाण्ड में कुत्ते को हिरण का पीछा करते हुए दिखाया गया हैजिसे पंचतंत्र में उल्लेखित चालाक लोमड़ी की कथा के सदृश्य माना जाता है।

 

इसके अतिरिक्त विभिन्न स्थलों से प्राप्त सोनेचांदी व पत्थर के मनके व आभूषण मिले हैंजो जौहरियों की कला विकसित होने का प्रमाण है। इस प्रकार समग्र रूप में सैंदव सभ्यता की कला बड़ी प्रशंसनीय है।

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