हड़प्पा सभ्यता सामान्य ज्ञान | Harappa Civilization GK in Hindi

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हड़प्पा सभ्यता सामान्य ज्ञान Harappa Civilization GK in Hindi

हड़प्पा सभ्यता सामान्य ज्ञान | Harappa Civilization GK in Hindi



  • 1921 ई. में दयाराम साहनी द्वारा हड़प्पा की खोज ने भारत के इतिहास को 2000 वर्ष पीछे ढकेल दिया। इससे पूर्व भारत के इतिहास का प्रारंभ वैदिक काल से माना जाता था, किन्तु हड़प्पा सभ्यता की खोज ने भारत के इतिहास को मेसोपोटामिया, मिस्र तथा चीन के इतिहास के समान ही प्राचीन व गौरवशाली बना दिया।


हड़प्पा सभ्यता की खोज


  • हड़प्पा सभ्यता आद्य ऐतिहासिक काल से संबद्ध है। यह सभ्यता मिस्र एवं मेसोपोटामिया की सभ्यता के समकालीन थी। सर्वप्रथम 1826 ई. में चार्ल्स मैसन ने हड़प्पा नामक स्थान पर एक प्राचीन सभ्यता के दबे होने की बात लिखी थी तथा हड़प्पा के विशाल टीले की ओर संकेत किया था। यद्यपि 1853 ई. 1856 ई. में अलेक्जेंडर कनिंघम ने यहां का अवलोकन किया था, परन्तु वे सही प्रकार से इस स्थल का महत्व नहीं समझ सके थे। आगे 1921 ई. एवं 1922 ई. में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के तृतीय अध्यक्ष जॉन मार्शल के निर्देशन में हड़प्पा व मोहनजोदड़ो की खुदाई का कार्य क्रमशः दयाराम साहनी व राखालदास बेनर्जी द्वारा किया गया।

हड़प्पा सभ्यता का नामकरण


  • इस सभ्यता को सिन्धु घाटी सभ्यता नाम जॉन मार्शल ने दिया था। इस सभ्यता के अन्य प्रमुख नाम हड़प्पा सभ्यता, सिन्धु-सरस्वती सभ्यता, काँस्ययुगीन सभ्यता एवं प्रथम नगरीय सभ्यता हैं। इन सभी नामों में से सर्वाधिक उपयुक्त नाम हड़प्पा सभ्यता होना चाहिए, क्योंकि सबसे पहले हड़प्पा स्थल को ही खोजा गया था।

हड़प्पा सभ्यता का विस्तार


  • इस सभ्यता का क्षेत्रफल 12,99,600 वर्ग किमी तथा आकार त्रिभुजाकार था, जो पूर्व से पश्चिम 1600 किमी तथा उत्तर से दक्षिण 1400 किमी तक विस्तृत थी। इस सभ्यता का विस्तार उत्तर में चिनाब नदी के किनारे मांडा (कश्मीर), दक्षिण में गोदावरी नदी के किनारे दायमाबाद (महाराष्ट्र), पश्चिम में दास्क नदी के किनारे सुत्कागेंडोर (बलूचिस्तान) तथा पूरब में हिंडन नदी के किनारे आलमगीरपुर ( उत्तर प्रदेश) तक था. 

हड़प्पा सभ्यता के महत्वपूर्ण स्थल 


  • अफगानिस्तान शोर्तुधई, मुण्डीगॉक
  • राजस्थान-कालीबंगा
  • पंजाब -हड़प्पारोपड़
  • गुजरात- देसलपुरसुरकोटड़ाधौलावीरारंगपुररोजदी।
  • हरियाणा- बनावली, राखीगढ़ी
  • जम्मू -मांडा।
  • उत्तर प्रदेश- आलमगीर 
  • सिंध- मोहजोदड़ों,आमरी,कोटदिची 

 हड़प्पा सभ्यता का नगर नियोजन


  • हड़प्पा सभ्यता की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता इसका नगर नियोजन थी। प्रत्येक नगर भागों में विभक्त थे पश्चिमी टीले (दुर्ग टीला) तथा पूर्वी टोले (आवास क्षेत्र)। पूर्वी टीले में सामान्य नागरिकव्यापारीकारीगर और श्रमिक आदि रहते थेजबकि दुर्ग के अंदर महत्वपूर्ण प्रशासनिक एवं सार्वजनिक भवन तथा अन्नागार स्थित थे। प्रायः पश्चिमी टीला एक रक्षा प्राचीर से घिरा होता थाजबकि पूर्वी टीला नहीं। हालांकि चाहुंदड़ो में दुर्ग एवं निचला शहर दोनों को भी रक्षा प्राचीर से नहीं घेरा गया था।

  • इस सभ्यता के नगर शतरंज की विसात की तरह व्यवस्थित थे। नगर का मुख्य मार्ग उत्तर से दक्षिण तथा दूसरे मार्ग पूरब से पश्चिम परस्पर समकोण पर काटते थे। सड़कें प्राय: कच्ची होती थीं। नगरों में उत्तम जल प्रबंधन एवं साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाता था। सड़कों के किनारे ग्रिड पद्धति पर नाली की व्यवस्था थीजिसमें कुड़ा-करकट एकत्रित करने के लिए जगह-जगह ढक्कनयुक्त मेनहोल बने थे। इस सभ्यता के घरों के दरवाजे एवं खिडकियां प्रायः मुख्य सड़क की ओर न खुलकर गलियों की ओर खुलते थे।

  • इस सभ्यता के भवन प्रायः द्विमंजली होते थे। भवनों में प्रायः पक्की ईंटों का प्रयोग किया जाता था। ईंटों का आकार 4:2:1 था। स्तम्भ प्रायः वर्गाकार होते थे। फर्श प्रायः कच्चा होता था।

  • इस प्रकार हड़प्पा सभ्यता की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता उसका व्यवस्थित नगरीकरण था, जो वर्तमान भारत की स्मार्ट सिटी योजना के समक्ष आदर्श प्रस्तुत करता है।

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