भक्ति कालीन कविता का उदय | Bhakti Kalin Kavita ka Uday

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भक्ति कालीन कविता का उदय

भक्ति कालीन कविता का उदय | Bhakti Kalin Kavita ka Uday
 

भक्ति कालीन कविता का उदय

भक्तिकाव्य भक्ति आंदोलन की उपज है। सबसे पहले हमें निर्गुण पंथ दिखलाई पड़ता हैंजिनमें कबीर प्रमुख हैं। कबीर रामानंद के शिष्य हैं। कबीर के पहले महाराष्ट्र में नामदेव हिंदी में रचना कर चुके थेउनमें निर्गुण और सगुण दोनों की उपासना है। कबीर ने निर्गुण पंथ का प्रवर्तन किया। उन पर अद्वैतवादवैष्णवी अहिंसावादप्रप्रत्तिवादसिद्धनाथ मत का पूरा प्रभाव था। उन्होंने निर्गुण ब्रह्म की उपासना पर जोर देते हुएबहुदेववादशास्त्रों एवं कर्मकाण्डों का विरोध किया। उनकी भक्ति भावमूलक हैंजिसकी उपलब्धि सद्गुरू की कृपा से होती है। कबीर की ही परंपरा में रैदासरज्जबदादू आदि संत कवि आते हैं। सूफी मत पर आधारित प्रेमाख्यानक काव्य तब प्रकाश में आता है जब भारत में सूफी मत का प्रसार होता हैं। सूफी फकीरों में निजामुद्दीन ओलिया और ख्वाजामुइनुद्दीन चिश्ती प्रमुख हैं। सूफी संत कवियों में कुतुबुनमंझनमलिक मुहम्मद जायसीउसमान आदि प्रमुख हैं। इन सूफी संतों ने प्रचलित हिंदू कथाओं कोआधार बनाकर ईश्वरीय प्रेम का निरूपण किया है। रामभक्ति की शुरुआत रामानंद से होती है। जिसे चरमोत्कर्ष पर गोस्वामी तुलसीदास ले जाते हैं। उत्तर भारत में कृष्णभक्ति का प्रसार वल्लभाचार्य ने किया। पुष्टिमार्गी अष्टछाप के कवियों ने कृष्णकाव्य का प्रणयन किया इनमें सूरदास और नंददास प्रमुख है। अष्टछाप कवियों के पूर्व संस्कृत में जयदेव और मैथिल में विद्यापति ने कृष्ण काव्य की रचना की थी। आगे की इकाई में भक्ति काव्य की विभिन्न शाखाओं के उद्भव एवं विकास का विस्तृत विवेचन किया जाएगा।

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